आईना आपको दिखाऊँ क्या
ख़ामियाँ फिर से मैं गिनाऊँ क्या
ख़ामियाँ फिर से मैं गिनाऊँ क्या
दिल की राहों में लुट गया देखो
पास अब कुछ नहीं गवाऊँ क्या
मेरी हालत से आप वाक़िफ़ हैं
आपसे मैं भला छुपाऊँ क्या
माँग भरने के वास्ते तेरी
चाँद तारों को तोड़ लाऊँ क्या
उम्र भर तुमने आज़माया है
आज तुमको मैं आज़माऊँ क्या
सारी महफ़िल तो लूट ली तुमने
अब मैं अपनी ग़ज़ल सुनाऊँ क्या
कोई दिलदार ही नहीं मिलता
दिल किसी से यहाँ लगाऊँ क्या
बेच दूँ क्या ज़मीर को अपने
मैं भी नाहक़ लहू बहाऊँ क्या