अकादमिक परीक्षाओं के साथ ही
रिश्तों की अपेक्षाओं में
उनमें से कुछ के अवसाद
फँदे पर टँगे मिले
जो बच गईं शरीर के मरने से
उन्हें सायकायट्रिस के उन प्रश्नों से मरना पड़ा
जो सेट थे
किसी व्यस्क लड़की के मौत चुनने के कारणों में
उन्ही में से कुछ बेहया उद्दंड निकलीं
जिन्हे जीना था
ये जानकर भी
कि अवसादों की परमाणु भट्टी में
निराशा की बहुगुणित श्रृंखला होती है
जिसके नियंत्रण के लिए
‘प्रेम’ का मंदक उनकी किस्मत के बाहर था
ये निर्विवाद आवारा लड़कियाँ थीं
जिन्होंने चुना था
अपने अवसाद को अपने हाथों से बाहर धकेलना
सिगरेट के धुएँ से छल्ले बनाकर
या किसी सस्ती शराब के जुगाड़ में
कमीने दोस्तों की गन्दी हरकतें झेलकर
कुछ लड़कियाँ
जो न मरी न भागी
फेलियर का तमगा पहनकर भी
उंगलियों में सिगरेट की जगह कलम पकड़े रहीं
उन्होंने लिखा अवसाद का उजला पक्ष-
“उदासी में जन्मती है सच्ची कविता”
पढ़ा सात्र और सीमोन को
और निकल पड़ी अपने अस्तित्व की तलाश में
जो जीवन में किसी कागजी हार से निर्धारित नहीं था
ये लड़कियाँ जीने लगीं
अपने लिखी कविताओं में
अपनी रफ कॉपी के
सबसे पीछे के फटे पेज पर
कुछ लिखकर मिटाते हुए….
‘Akhri Page’ Hindi Poem by Deepti Pandey