बोगनवेलिया


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जैसे घड़ियों से रिसता है समय
वैसे आलिंगन से बहता है प्रेम
हज़ारों बार पुकारे जाने के पश्चात
चुम्बनों की प्यास
जम जाती है होंठों पर
मरुस्थल की तरह,
समय के पहिये संग
हज़ारों वर्षों के फूल बीत जाते हैं
तितली की स्मृति में

प्रेम बर्फ़ में बोगनबेलिया रोपने जैसा है
और मुझे प्रेम है तुमसे
जो हज़ारों युगों के विनाशकारी
बर्फ़ीले ध्रुवों से गुज़र कर भी
अमर है।

‘Bougainvillea’ A Beautiful Hindi Poem by Nandita Sarkar

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