राजा की ऐनक


Notice: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u883453746/domains/hindagi.com/public_html/wp-content/plugins/elementor-pro/modules/dynamic-tags/tags/post-featured-image.php on line 36

सन्तनगर के राजा का खजाना भरा हुआ था। जैसे कि परम्परा है, राजा बड़ा सुखी था। विशाल महल, सोने का सिंहासन, रत्नजड़ित मुकुट, सुन्दर रानियाँ, इनमें से पैदा हुये वंश के कुछ बढ़ावक आदि। क्या नहीं था उसके पास? राजपरिवार में एक दिन जो कपड़ा पहना जाता, दूसरे दिन छूआ नहीं जाता था। छूआ-छूत के इस रोग के कारण दरबारियों के पास कपड़ों की कमी नहीं थी। उच्च-कोटि का व्यंजन दरबार में हर समय पकता रहता। इन सुखों की बारिशों के छींटे दरबारियों पर सहज रुप से पड़ जाते। इसके बाद छींटों के छींटे उनके रिश्तेदारों और मित्रों पर भी सहजता से गिरते रहते। हर वो व्यक्ति जो सीधे, टेढ़े और घुमाकर राजदरबार से जुड़ा था, प्रसन्न था।

एक बार राजा अपने महल के बाहर उद्यान में सुबह टहल रहा था। उसने देखा कि सामने से कुछ लोगों का झुण्ड ‘महाराज की जय हो’ और ‘महाराज दीर्घायु हों’ बोलते हुए प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था। द्वारपाल ने उन्हें रोकने की कोशिश की पर राजा से संकेत मिलने पर उन्हें अन्दर आने दिया।

“महाराज! सूखे से फसल चौपट हो रही है। एक या आधी ही रोटी खा पा रहें हैं दिन भर में… भूखों मर जायेंगे, कुछ कीजिए महाराज…।”

“महाराज गरीबी दूर कर दौ। आप हमारे भगवान हैं…।”

“महाराज कर की मात्रा थोड़ी कम कर दें। खर्चे पूरे नहीं हो पा रहें हैं।”

राजा ने सबकी बातें ध्यान से सुनी और ‘ठीक है कुछ करूँगा’ कहकर उन्हें भेज दिया। अगले दिन मंत्रियों की बैठक में यह समस्या सामने रखी और कहा, “ध्यान रखें समाधान इस तरह से निकालना है कि साँप भी मर जाय और लाठी भी न टूटे। लाठी ही हमारी रीढ़ की हड्डी है, अगर इसे कुछ हो गया तो हम सभी खड़े तक नहीं हो पायेंगे…बाकी आप सभी समझदार हैं।”

किताब अमेज़ॉन पर उपलब्ध है।
किताब अमेज़ॉन पर उपलब्ध है।

सभी मंत्री सोच में पड़ गए। अपने-अपने स्तर से समाधान ढूँढने लगे। अचानक कला और विज्ञान मंत्री को एक वस्तु याद आयी। पिछले माह पड़ोसी राज्य के भ्रमण पर उन्होंने देखा कि मूलभूत सुविधाएँ कुछ ख़ास नहीं थीं फिर भी लोग वहाँ बहुत खुश दिख रहे थे। दुबले-पतले शरीर और तन पर ढंग के कपड़े न होने के बावजूद चहरे पर चिंता की रेखाएं तक नहीं थीं। मंत्री ने वहाँ के मंत्री से इसका रहस्य पूछा। उसने मुस्कुराकर कान में कुछ कहा और एक चश्मा उपहार में दे दिया।

अगले दिन मंत्री ने अपने कक्ष में से वही चश्मा निकालकर राजा को दिया और कहा, “महाराज वैसे तो यह सामान्य चश्मा है पर खाने की थाली आते ही यह क्रियाशील हो जाता है और वस्तुएं दस गुनी ज्यादा भरी और बड़ी दिखतीं हैं।”

राजा ने चश्में को उलट-पलट करके ध्यान से देखा। उसने ‘टेस्टिंग’ के चक्कर में अपनी छत्तीस तरह के व्यंजन वाली थाली मंगवाई। चश्में से देखने पर वह थाली इतनी बड़ी और भरी लगी कि उसमें से मात्र चटनी हटाकर वहाँ खुद बैठकर खाने की सोचने लगा।

राजा ने आदेश दिया कि चश्में का निर्माण बड़ी मात्रा में करवाया जाय, मुझे प्रजा के दुःखों को दूर करना है।

आदेश का पालन हुआ। राजा ने पिछले दिनों महल में आये जनसमूह को बुलवाया और हिदायत के साथ कहा, “इस चश्में को खाना खाते समय ही पहनना है, आपकी समस्या दूर हो जाएगी। आप सभी के लिए हर्ष की बात है कि इसका कोई मूल्य नहीं देना है और न ही पहनने पर कोई कर का प्रावधान है।”

सभी लोग ‘राजा दयालु हैं’, ‘महाराज की जय हो’ और ‘आप सदैव हमारे राजा बने रहें’ बोलने लगे। राजा दोनों हाथ ऊपर करके मुस्कराया। आँखों के पोरों को रगड़ते हुए भरे गले से बोला, “मुझे आप सभी की बड़ी चिंता रहती है…मैं प्रजा का दुःख नहीं देख सकता।”

प्रजा भी भावुक हो गयी और पुनः ‘आप हमारे राजा बनें रहें’ बोलते हुए चली गई।

धीरे-धीरे सन्तनगर का पड़ोसी राज्य के साथ और राजा का कला और विज्ञान मंत्री के साथ आर्थिक सम्बन्ध मजबूत होते चले गए। प्रजा की दुआओं से राजा तमाम बिमारियों और अक्षमताओं के बावजूद मरते दम तक अपने सिंहासन पर बना रहा।

इंद्रजीत कौर की अन्य रचनाएँ।

Related

पैंतीस बरस का जंगल

उम्र की रौ बदल गई शायद, हम से आगे निकल गई शायद। – वामिक़ जौनपुरी “इतनी लंबी उम्र क्या अकेले गुज़ारोगी? दुनिया क्या कहेगी?” यही सवाल उसकी खिड़की पर टँगे

बालम तेरे झगड़े में रैन गयी…

छुट्टी वाला दिन रागों के नाम होता। कमरे में जगह-जगह रागों के उतार-चढ़ाव बिखरे रहते। मुझे अक्सर लगता अगर हम इन्हीं रागों में बात करते तो दुनिया कितनी सुरीली होती।

एक ना-मुक़म्मल बयान

तारीख़ें.. कुछ तारीख़ें चीख होती हैं वक़्त के जिस्म से उठती हुई… कि मुझे सुनो, मैंने क्या खोया है तुम्हारे इस बे-मा’नी औ’ बेरुख़ी से भरे सफ़र में। कुछ तारीख़ें

Comments

What do you think?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

instagram: