टाँगी,
हँसिया,
दाब,
दराँती
ये सब हमारी सुन्दरता के
प्रसाधन हैं
जिन्हें हाथ में पकड़ते ही
मैं दुनिया की
सबसे सुन्दर स्त्री हो जाती हूँ।
तब कहीं दूर रैम्प पर
लड़खड़ाती हुई टाँगों वाली
तुम्हारी सारी विश्वसुन्दरी पुतलियाँ
पछ़ाड़ खाकर गिर जाती हैं
प्रायोजक भाग उठते हैं
टीवी डिसकनेक्ट हो जाता है
मोबाइल के टॉवर
ठप्प हो जाते हैं।
जब मैं हाथ में ले लेती हूँ
टाँगी, हँसिया, दाब, दराँती
या इन जैसा कुछ भी
‘Sabse Sundar Stri Ho Jaati Hun’ A Hindi Poem by Vandana Tete