चंद ही रोज़ और फिर बदल जाएगी ज़िंदगी

चंद ही रोज़ और फिर बदल जाएगी ज़िंदगी

उदास शहर की उदास खिड़की पर इन दिनों बेरुख़ी है नहीं उतरता उसकी ग्रिल पर चिड़िया का शोर चारों ओर फैले सुनसान में संगीतकार सुन नहीं पा रहा स्वर साधु

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