विदा फ़ारुख़ December 28, 2020 बचपन में सेट मैक्स, ज़ी सिनेमा और स्टार टीवी पर दिखाई गई फिल्मों के कारण फ़ारुख़ शेख़ दिमाग में कुछ इस तरह बस गए थे कि अब स्मृति से छूटते
चंद ही रोज़ और फिर बदल जाएगी ज़िंदगी April 26, 2020 उदास शहर की उदास खिड़की पर इन दिनों बेरुख़ी है नहीं उतरता उसकी ग्रिल पर चिड़िया का शोर चारों ओर फैले सुनसान में संगीतकार सुन नहीं पा रहा स्वर साधु
कह देने की ये कौन सी तड़प है ? January 23, 2020 कह देने की ये कौन सी तड़प है ? क्यूँ केवल कह देने भर से मन नहीं भरता? क्यूँ ज़रूरी है इतना भरोसा कि सुना जा रहा है ? न