cinema

बस तेरा नाम ही मुक़म्मल है: गुलज़ार

हिन्दी साहित्य और सिनेमा में जो हैसियत गुलज़ार साहब की है और रही, वैसी किसी की न थी। मतलब सीधा-सीधा कला में दखलंदाज़ी। यानि गीत, कविता, नज़्म, शायरी, कहानी, पटकथा,

ड्रीम गर्ल

एक ज़माना था जब हृषिकेश मुखर्जी, फारुख शेख़, अमोल पालेकर, दीप्ति नवल और उत्पल दत्त आदि की फिल्में बड़े बड़े नामों वाले एक्टर्स और डायरेक्टर्स की फिल्म्स के बावजूद अपनी

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