Sudeep Sohni

विदा फ़ारुख़

बचपन में सेट मैक्स, ज़ी सिनेमा और स्टार टीवी पर दिखाई गई फिल्मों के कारण फ़ारुख़ शेख़ दिमाग में कुछ इस तरह बस गए थे कि अब स्मृति से छूटते

बस तेरा नाम ही मुक़म्मल है: गुलज़ार

हिन्दी साहित्य और सिनेमा में जो हैसियत गुलज़ार साहब की है और रही, वैसी किसी की न थी। मतलब सीधा-सीधा कला में दखलंदाज़ी। यानि गीत, कविता, नज़्म, शायरी, कहानी, पटकथा,

सत्यजित रे के घर पर

आज सत्यजित रे का जन्मदिन होता है. रे से मेरा या हमारा क्या ताल्लुक़? क्या केवल पाँच-सात फ़िल्में देखने के बाद हम किसी को एडमायर करने लग जाते हैं. या

चरित्र अभिनेता और जीवन के सम्मोहन से घिरे मोहन आगाशे

भारत में जनसामान्य को किसी चरित्र अभिनेता (अथवा आम फ़हम अभिनेता नहीं) का परिचय देने के लिए हिन्दी सिनेमा की कुछेक फ़िल्मों के कुछेक दृश्य दिखाने भर होंगे। अभिनेता दृश्य

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