इस मिट्टी से ही हूँ मैं है वजूद मेरा
मातृभूमि के चरण में है सुजूद मेरा
मातृभूमि के चरण में है सुजूद मेरा
हर साँस में समाई है वतन परस्ती
अब क्यूँ माँगते हो तुम सबूत मेरा
ख़फा हूँ तुम्ही से क्यूँ नफरतें हैं बोईं
क्यूँ पार कर दिया है तुमने हुदूद मेरा
भरी हैं जो जेबें लुटा दो वतन पर
अब यही मूल मेरा यही सूद मेरा
धर्म के ये झंडे उठाकर जला दो
मिटा दो ये झगड़े जो मौजूद मेरा
अर्श पे लहरा दो ये प्यारा तिरंगा
नाज़ है इसी पे यही वजूद मेरा