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बातों वाली गली
वंदना स्त्री है तो स्त्री विमर्श से अलग तो हो नहीं पाती, किन्तु हाँ कुछ कहानियां अपवाद के रूप में अलग सी है। इनकी कहानियों में स्त्री विमर्श के विभिन्न रंग देखने को मिलते है, जैसे नारी स्वभाव के अनुसार काम-काज से फुर्सत पा चुकी स्त्रियाँ सर्वाधिक आनंद पाती है अपनी ही कौम यानी स्त्री का छिद्रानुवेषण करने में, बस उसके लिए कोई सुपात्र मिल जाना चाहिए। ये जायके वाली कहानी “बातों वाली गली” काफी दिलचस्प है।
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वंदना स्त्री है तो स्त्री विमर्श से अलग तो हो नहीं पाती, किन्तु हाँ कुछ कहानियां अपवाद के रूप में अलग सी है। इनकी कहानियों में स्त्री विमर्श के विभिन्न रंग देखने को मिलते है, जैसे नारी स्वभाव के अनुसार काम-काज से फुर्सत पा चुकी स्त्रियाँ सर्वाधिक आनंद पाती है अपनी ही कौम यानी स्त्री का छिद्रानुवेषण करने में, बस उसके लिए कोई सुपात्र मिल जाना चाहिए। ये जायके वाली कहानी “बातों वाली गली” काफी दिलचस्प है।
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