लघु कथा

राजा की ऐनक

सन्तनगर के राजा का खजाना भरा हुआ था। जैसे कि परम्परा है, राजा बड़ा सुखी था। विशाल महल, सोने का सिंहासन, रत्नजड़ित मुकुट, सुन्दर रानियाँ, इनमें से पैदा हुये वंश

घासतंत्र और रजुआ

रजुआ। एक घोड़े का नाम था यह। वैसे तो घोड़े को घास से दोस्ती नहीं करनी चाहिए पर इस वाले ने इसने कि घास को नहीं खायेगा। धरती की हरियाली

थ्री चीअर्स टू अवर फ्रेंडशिप

“सुनो.. हम इस रास्ते से वॉक के लिए नहीं जाया करेंगे।” क्यों ? मुझे पसंद नहीं ये रास्ता। क्या? शहर का सबसे खूबसूरत रास्ता तुम्हें पसन्द नहीं? ये हरा भरा

धूप का एक टुकड़ा

क्या मैं इस बेंच पर बैठ सकती हूँ? नहीं, आप उठिए नहीं – मेरे लिए यह कोना ही काफी है। आप शायद हैरान होंगे कि मैं दूसरी बेंच पर क्यों

बुर्का पहन लो…

रज़िया ने टी.वी. देख रहे अपने शौहर से कहा – सुनिए, आज कहीं घूमने ले चलिए न! कितना सुहाना मौसम है! अभी बारिश होकर रुकी है। ओहो, तुम भी। अब

शोर तुम्हारे भीतर है

– ओह, कैसा अजीब शहर है न यह! अलसुबह ही शोर होने लगता है। देर रात तक भी गाड़ियों के आने – जाने की आवाजें आती रहीं। मैं तो सो

रेल यात्रा – शरद जोशी

रेल विभाग के मंत्री कहते हैं कि भारतीय रेलें तेजी से प्रगति कर रही हैं। ठीक कहते हैं। रेलें हमेशा प्रगति करती हैं। वे बम्‍बई से प्रगति करती हुई दिल्‍ली

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