
प्रेम के दरिया किनारे बैठकर प्रेम का उत्सव: सदानीरा है प्यार
सच है, प्रेम कोई खिड़की न होकर एक पूरा दरिया होता है। दरिया भी कैसा – साफ़, चमचम, मीठे पानी वाला। ऐसे दरिया किनारे बैठकर जब हम इसके पानी में
सच है, प्रेम कोई खिड़की न होकर एक पूरा दरिया होता है। दरिया भी कैसा – साफ़, चमचम, मीठे पानी वाला। ऐसे दरिया किनारे बैठकर जब हम इसके पानी में
कहानी-एक पुलिस ऑफिसर हैं, विजय सिंह, जिन्हे पनिश्मन्ट पोस्टिंग पर पुलिस ट्रैनिंग अकादेमी के डीन बना दिया जाता है। विजय सिंह का भौकाल है एकाडमी में, हालाँकि उन्होंने कोई क्लास
जहाँ एक तरफ इस वक्त नेटफ़्लिक्स, हॉटस्टार, प्राइम विडिओ आदि का OTT वार चल रहा है, और सभी बड़े बड़े डिरेक्टर्ज़, सिलेब्रिटीज़ को अपनी ओर खींचने की होड़ में लगे
इस सिनेमा पर कुछ लिखें उससे पहले हमको बचपन का एक कहानी याद आ रहा है। होली के आसपास का दिन था। उन दिनों में हमारे इलाक़े में भांग वाला
यह टाइटल पढ़ते ही किसी भी फिलिमची को फिल्म ज्वेल थीप का आशा भोसले का गया वो अद्भुत गीत याद आ जाएगा – “रात अकेली है बुझ गए दिए” हालांकि
अमेरिकन उपन्यासकार है John Michael Green, इन्होंने सन 2012 में एक उपन्यास लिखा Fault in Our Stars नाम से। कथा के केंद्र में मूलतः कैंसर सरवाइवल हैं, उपन्यास बड़ा पढ़ा
कठिन से कठिन बातों को कहने और समझाने के लिए फ़िल्में कितना सशक्त माध्यम हो सकती हैं, इसका उदाहरण है ज़ी5 की फिल्म ‘चिंटू का बर्थडे’ कहानी है एक प्रवासी
पीकू और अक्टूबर के बाद शूजित साबित करते हैं कि सिनेमा निर्देशक का माध्यम है। लेखक के रूप में जूही चतुर्वेदी ने इस बार फिर कमाल किया है। कहानी इस
बचपन में स्कूल में कभी शिवाजी और सिंहगढ़ के किले की लड़ाई के बारे में पढ़ा था। ‘गढ़ आया, पर सिंह गया’ वाली लाइन न जाने क्यों हमेशा याद रही।पर
दबंग, सलमान खान और प्रभुदेवा तीनों का ही ध्यान बना रहता है इस फिल्म को देखते हुए। प्रभुदेवा का सबसे पहले इसलिए कि वाण्टेड निर्देशित करके सलमान खान को बरसों
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