फिर फिर दबंग…..दबंग 3 – फिल्म समीक्षा


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दबंग, सलमान खान और प्रभुदेवा तीनों का ही ध्यान बना रहता है इस फिल्म को देखते हुए। प्रभुदेवा का सबसे पहले इसलिए कि वाण्टेड निर्देशित करके सलमान खान को बरसों पहले स्टारडम दोबारा लौटाने का श्रेय उन्हीं को है। दबंग सलमान ने पहले अभिनव कश्यप को लेकर बनायी जो सबसे अच्छी थी, दोबारा अरबाज खान ने इसे बनाया तो छायाप्रति में कुछ प्रभाव घटा। इससे सावधानी बरतते हुए तीसरी बार जब दबंग बनने चली तो वाण्टेड प्रभुदेवा को बुला लिया गया। डांसर औ कोरियोग्राफर प्रभु देवा ने इसको बस बना दिया है, अन्यथा यह निर्माता सलमान खान की फिल्म पूरी तरह लगती है और दो दबंग की सफलता के आत्मविश्वास से थोड़ी झूलती हुई भी।

सलमान खान की पिछली किसी फिल्म पर लिखते हुए मेरे लिखने में यह गलत नहीं आया था कि वे बॉलीवुड के रजनीकान्त हो जाना चाहते हैं। अपनी छबि पिछले दस सालों में उन्होंने ऐसी ही बनायी है। यह सही भी है कि फिलहाल तो वे नम्बर वन हैं ही। शेष सब उनके बाद। पहली दबंग से दूसरी दबंग की कहानी कानपुर तरफ चली गयी थी, इस दबंग में भी उत्तरप्रदेश है और वातावरण टुण्डला का है। चुलबुल पाण्डे वही है, उनके मसखरे और हँसोड़ संगी साथी भी उसी तरह जो कंधे पर गोली भी खा लेते हैं, डौल-बेडौल होने के बाद भी गानों में नायक के साथ नाचते भी हैं और सारे पुलिस व्यवहार के यथार्थ का निर्वाह सहजता से करते हैं।

इधर दो दबंग की नायिका से पहले की एक नायिका है नायक की। छेदी सिंह, बच्चा सिंह से होते हुए इस बार खलनायक बाला सिंह है, हिन्दी फिल्मों के लिए नया चेहरा मगर दक्षिण से मजबूत कन्नड़ सिनेमा के लेखक, निर्देशक एवं अभिनेता किच्चा सुदीप। यह रहस्य तीसरी दबंग में खुला कि हमेशा सहज रहते और हँसते-हँसाते रहने वाले नायक का पहला रूमानी दर्द खुशी नाम की लड़की भी है। यह नयी आमद है महेश मांजरेकर की बेटी सई। कुछ दृश्य के लिए है लेकिन कोमल और सॉफ्ट रोमांटिक उपस्थिति में अच्छी लगती है। सोनाक्षी सिन्हा इस तीसरी बार में और भी अधिक आश्वस्त लगती हैं लेकिन श्रेष्ठ नहीं, यह कहा जा सकता है क्योंकि सीमित संवाद और खूब सारी साड़ियाँ बदलते हुए वे अभी कम प्रतिभा के चलते भी चलती रहेंगी। एक गाने के साथ कुछ मादक रूमानी लीलाएँ नायक के साथ उल्लेखनीय हैं जिसमें बाथटब में शराब डालना और अंजुली में भरकर पी लेना शामिल हैं लेकिन यह खूबी है कि नायक ने इस दृश्य को स्तरहीन नहीं होने दिया है।

नायक और नायक का भाई निर्माता है, निर्देशक भी वेल-विशर। लगभग हर दृश्य में सलमान खान हैं लेकिन हमेशा की तरह कई दृश्यों में आदर्शवादिता, सभ्यता और सामाजिकता के पक्ष में बात करने के बावजूद वे निर्देशक के हाथ में नहीं हैं यह साबित हो जाता है। पहली दबंग इसीलिए बहुत बेहतर इस कारण लगती है कि अभिनय कश्यप ने लोकप्रियता के इस फलसफे को मौलिकता में गढ़ा था। चुलबुल पाण्डे के किरदार को पहली बार विकसित किया था। आज उसमें दोहराव और तिहराव है।


फिल्म में खलनायक आपको थोड़ी थोड़ी देर के लिए दूसरी आबोहवा में ले जाता है क्योंकि वह यहाँ अपनी पहली परीक्षा दे रहा है। कन्नड़ फिल्मों के सितारे किच्चा सुदीप एक निर्मम और बर्बर वृत्ति के बुरे आदमी के रूप में आकृष्ट करते हैं पर उनका बाला सिंह नाम एक तरह से मिस मैच है जो देहाती सा लगता है जबकि प्रकट तौर पर इस कलाकार ने अपने आपको हृदयहीन आवेगी की तरह प्रस्तुत किया है। वह दृश्य महत्वपूर्ण है जब क्लायमेक्स में खलनायक को मारते हुए नायक कहता है कि यदि तुम किसी से प्यार करते हो और वह तुमसे प्यार न करती हो तो क्या तुम उसको मार डालोगे, एक बड़ा सवाल है जो सलमान, किच्चा सुदीप को दण्ड देते हुए पूछते हैं। आज के समय में भी यह मौजूँ है।

मित्र सोचते होंगे कि सारी बातें कर दी हैं, कहानी नहीं बतायी। उत्तर है कि कहानी है ही नहीं। क्योंकि दबंग एक के बाद दूसरी बनी और दो के बाद जो तीसरी बनी वह दरअसल दबंग एक के भी पहले की दबंग प्रचारित है। इसी कारण यह अलमारी में कसकर रखी किताबों के बीच में एक किताब यह कहकर खोंस देना है कि इसकी जगह पहले हैं। अब दक्षिण भारत का निर्देशक है, वह रोहित शेट्टी तबीयत की फाइटिंग, स्टंट और गाड़ियों के करतब शामिल हैं। मध्यप्रदेश के महेश्वर और माण्डू में फिल्माये हुए दृश्यों को देखते हुए वातावरण में टुण्डला के यथार्थ पर यकीन करना मुश्किल होता है। इस फिल्म में स्कॉर्पियो वाहन का बढ़िया इस्तेमाल है, काफिले से लेकर लड़ाई-झगड़े और स्टंट के विषयों में सफेद स्कॉर्पियो से दृश्य और प्रसंग की आक्रामकता ज्यादा असर देती है।

इस फिल्म को समीक्षक बड़ी कंजूसी से सितारे प्रदान कर रहे हैं और कोई भी डेढ़ से दो को पार नहीं कर रहा। निजी रूप से मैं सोचता हूँ कि दबंग तीन की तुलना में हमारा दिमाग बार-बार दबंग एक और दो के साथ क्यां हो जाता है? इसे उससे अलग हटकर भी देखा जाये। मेरा ख्याल है कि तीन स्टार उचित है।

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