सिनेमा

प्रेम के दरिया किनारे बैठकर प्रेम का उत्सव: सदानीरा है प्यार

सच है, प्रेम कोई खिड़की न होकर एक पूरा दरिया होता है। दरिया भी कैसा – साफ़, चमचम, मीठे पानी वाला। ऐसे दरिया किनारे बैठकर जब हम इसके पानी में

क़िस्सों की ज़रूरत और उनके पीछे झाँकती खिलंदड़ मुस्कान: जूलिया रॉबर्ट्स

कहानी में नाटकीयता की अवधारणा को लेकर हॉलीवुड ने अपने सिनेमा को शिखर तक पहुंचाया है। ‘ड्रामा’ शब्द में जो मंतव्य छुपा हुआ है वही कहानी और अभिनय को लेकर

क्लास ऑफ ’83

कहानी-एक पुलिस ऑफिसर हैं, विजय सिंह, जिन्हे पनिश्मन्ट पोस्टिंग पर पुलिस ट्रैनिंग अकादेमी के डीन बना दिया जाता है। विजय सिंह का भौकाल है एकाडमी में, हालाँकि उन्होंने कोई क्लास

मी रकसम

जहाँ एक तरफ इस वक्त नेटफ़्लिक्स, हॉटस्टार, प्राइम विडिओ आदि का OTT वार चल रहा है, और सभी बड़े बड़े डिरेक्टर्ज़, सिलेब्रिटीज़ को अपनी ओर खींचने की होड़ में लगे

बस तेरा नाम ही मुक़म्मल है: गुलज़ार

हिन्दी साहित्य और सिनेमा में जो हैसियत गुलज़ार साहब की है और रही, वैसी किसी की न थी। मतलब सीधा-सीधा कला में दखलंदाज़ी। यानि गीत, कविता, नज़्म, शायरी, कहानी, पटकथा,

रात अकेली है

यह टाइटल पढ़ते ही किसी भी फिलिमची को फिल्म ज्वेल थीप का आशा भोसले का गया वो अद्भुत गीत याद आ जाएगा – “रात अकेली है बुझ गए दिए” हालांकि

Fault in Our Stars से दिल बेचारा तक

अमेरिकन उपन्यासकार है John Michael Green, इन्होंने सन 2012 में एक उपन्यास लिखा Fault in Our Stars नाम से। कथा के केंद्र में मूलतः कैंसर सरवाइवल हैं, उपन्यास बड़ा पढ़ा

चिंटू का बर्थडे -फिल्म समीक्षा

कठिन से कठिन बातों को कहने और समझाने के लिए फ़िल्में कितना सशक्त माध्यम हो सकती हैं, इसका उदाहरण है ज़ी5 की फिल्म ‘चिंटू का बर्थडे’ कहानी है एक प्रवासी

सेल्युलाइड पर कविता है फ़िल्म ‘गुलाबो सिताबो’

पीकू और अक्टूबर के बाद शूजित साबित करते हैं कि सिनेमा निर्देशक का माध्यम है। लेखक के रूप में जूही चतुर्वेदी ने इस बार फिर कमाल किया है। कहानी इस

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