बुर्का पहन लो…


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रज़िया ने टी.वी. देख रहे अपने शौहर से कहा – सुनिए, आज कहीं घूमने ले चलिए न! कितना सुहाना मौसम है! अभी बारिश होकर रुकी है।

ओहो, तुम भी। अब इस वक्त कहाँ चलेंगे?

कहीं भी, चलिए…बगल वाले बगीचे में ही ले चलिए न! घंटे भर में लौट आयेंगे, फिर खाना लगा दूँगी।

ठीक है। चलो। तैयार हो जाओ।
मैं गुलाबी रंग वाली सलवार-कमीज पहन लूँ?

हाँ, ठीक है। पहन लो और बुर्का जरूर पहन लेना। बगीचे में बहुत लोग होते हैं।

अगला दृश्य:

दोनों बगीचे में गीली घास पर बैठ गए। शौहर ने कहा – देखो रज़िया, बारिश के बाद हवा वाकई कितनी अच्छी लग रही है न! मिट्टी से कैसी प्यारी महक आ रही है!

बुर्के के भीतर से रजिया ने पलकें झुका कर हाँ में सिर हिलाया।

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