विरक्ति November 25, 2022 आज के दिन कितना कुछ किया जा सकता था। कविता की किताब हाथ में लिए धूप तापते हुए शीत ऋतु के सुख को अपनी देह में नृत्य करने दिया जा
अंत तक बचाए रखना May 5, 2021 फूल तोड़कर तुम्हारे बालों में खोंस देना प्रेम नहीं है। पौधे में फूल को, तुम्हारे बालों के लिए अंत तक बचाए रखना प्रेम है। तुमसे इश्क़ का इज़हार कर देना
प्रेम ढूंढ़ता रहा कोमल स्पर्श April 8, 2021 सुखों से उपजा दुख। दुखों से मैं। और फिर देर तक काँपता रहा जीवन निष्प्रयोज्य… निर्रथक… निरंतर… लहरें लहरों से टकराती रहीं जिजीविषा आखेट कराती रही। प्रेम ढूंढ़ता रहा कोमल