तुम्हारी भाषा का संगीत January 13, 2021 तुम्हारे होने और न होने दोनों में संगीत है जो जगह इन दोनों के बीच बन गई है जिसमें तुम मेरे वर्तमान का यथार्थ नहीं महज़ बीते हुए का एक
लोहा और कपास December 9, 2020 आँतों को पता है अपने भूखे छोड़े जाने की समय सीमा उसके बाद वे निचुड़ती पेट कोंच-कोंचकर ख़ुद को चबाने लगतीं हैं आँखों को पता है कितनी दुनिया देखने लायक़
इतना होना बचा रहा October 13, 2020 जो तुम्हारा नहीं तुम्हें मिल गया भी तो क्या ढोते हुए कहाँ से कहाँ जाओगे चिड़िया चली जाती है पेड़ पंख नहीं उगाता जड़त्व बाँधकर वहीं खड़ा रहता है फ़सलें
बीमार समय में September 22, 2020 एक बूढ़ा सियार हुआँ हुआँ का शोर मचाता है पीछे से लाखों सियार जयकार लगाते हैं छद्म वेश में जो सियारों में शामिल नहीं हैं उनके लिए हस्ताक्षरित सियारी खाल
मत भूलना September 15, 2020 मत भूलना कि हर झूठ एक सच के सम्मुख निर्लज्ज प्रहसन है हर सच एक झूठ का न्यायिक तुष्टीकरण तुम प्रकाश की अनुपस्थिति का एक टुकड़ा अंधकार अपनी आँखों पर