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जो देश की हालत से बात शुरू करे, वह भयानक ‘चिपकू’ होता है। दुनिया की हालत वाला तो और खतरनाक होता है।
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बड़े भ्रष्टाचारी को बाइज्जत अलग कर देने की विधि को ‘कम्पलसरी रिटायरमेंट’ कहते हैं।
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15 अगस्त 1947 को ऐसा हुआ था। ज्योंही तिरंगा झंडा ऊपर गया था, बहुत लोगों के पैंट नीचे खिसक गये थे। उनकी जगह धोती आ गयी थी।
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अच्छी ऊपरी आमदनी वाला कभी तरक्की के झंझट में नहीं पड़ता।
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घर में खाने-पीने का सुभीता हो, जिम्मेदारी न हो, तो सन्त और भक्त होने में सुभीता रहता है।
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बिजनेस की भी एक नैतिकता होती है। यह नैतिकता है-चुंगी-चोरी, स्टॉक दबाना, मुनाफाखोरी करना, ब्लैक से देश का माल बेंचना।
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बड़ा साहब ‘स्टीम रोलर’ होता है, जो डिपार्टमेंट के बड़े-छोटे का भेद मिटा देता है।
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डर भेद मिटाता है। प्रेम नहीं मिटाता। डर खुद प्रेम पैदा करता है। डूबने से बचने के लिए साहब चपरासी के पैर इस तरह पकड़ लेता है, जैसे वे भगवान के चरण हों।
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धर्म धंधे से जुड़ जाय, इसी को ‘योग’ कहते हैं।
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जो सरकार बनाने वाला हो, उसके साथ रहना चाहिए।
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जिस पार्टी के नेता कमजोर और बीमार रहते हैं, उस पार्टी का विरोध स्वस्थ विरोध कहलाता है।
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- TAGS ― परसाई के पंच
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