Author: anup-shukl

anup-shukl

हरिशंकर परसाई – दो खुले खत

परसाई जी (22 अगस्त 1922 – 10 अगस्त 1995) के निर्वाण दिवस के मौके पर विनम्रता पूर्वक श्रद्धांजलि सहित। आज मैं उनके मित्र, रायपुर-जबलपुर से निकलने वाले हिंदी दैनिक देशबन्धु

परसाई के पंच-6

  जो देश की हालत से बात शुरू करे, वह भयानक ‘चिपकू’ होता है। दुनिया की हालत वाला तो और खतरनाक होता है। बड़े भ्रष्टाचारी को बाइज्जत अलग कर देने

परसाई के पंच-5

  1. गरीबों को तो खैराती अस्पताल का ही सहारा होता है। 2. पुराने जमाने में शुभ कार्यों में अच्छा मुहूर्त देखने की जो परिपाटी है, वह देवताओं का ठीक

परसाई के पंच-4

  1. आदर्श प्रेमी के यही लक्षण होते हैं। वह उदास रहता है। चिढ़ता है। हर आदमी को अपना शत्रु समझता है। 2. सत्य की खोज करने वालों से मैं

परसाई के पंच-3

1. अगर कोई आदमी डूब रहा हो, तो वे उसे बचाएंगे नहीं, बल्कि सापेक्षिक घनत्व के बारे में सोचेंगे। 2. कोई भूखा मर रहा हो, तो बुद्धिवादी उसे रोटी नहीं

परसाई के पंच-2

  1. साहित्य में बंधुत्व से अच्छा धंधा हो जाता है। 2. जवान आदमी को दुखी देखने से पाप लगता है। मगर मजबूरी में पाप लग रहा है। बेकारी से

परसाई के पंच-1

  1. कुछ आदमी कुत्ते से अधिक जहरीले होते हैं। 2. मार्क ट्वेन ने लिखा है-‘यदि आप भूखे कुत्ते मरते कुत्ते को रोटी खिला दें, तो वह आपको नहीं काटेगा।

सूरज की मिस्ड कॉल

आज सुबह जगे तो देखा कि सूरज की चार ठो मिस्ड कॉल पड़ी थीं। उठकर बाहर आये। सोचा फ़ोन मिलाकर बात कर लें। लेकिन फ़िर नहीं मिलाये। सोचा -काम में

हाय रे तेरी दम्बूक से डर लागे

आजकल कोरोना बवाल के चक्कर में देश भर में लाकडाउन चल रहा है। कारखाने, बाजार, दुकान सब बन्द। गली, मोहल्ले, सड़क, चौराहे बन्द। पकड़े गए बाहर तो ठुके। किसी अहिंसक

instagram: