परसाई के पंच-1


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1. कुछ आदमी कुत्ते से अधिक जहरीले होते हैं।

2. मार्क ट्वेन ने लिखा है-‘यदि आप भूखे कुत्ते मरते कुत्ते को रोटी खिला दें, तो वह आपको नहीं काटेगा। कुत्ते में और आदमी में यही मूल अंतर है।’

3. यह मध्यम वर्गीय कुत्ता है। उच्च वर्गीय होने का ढोंग भी करता है और सर्वहारा के साथ भौंकता भी है।

4. एक ऐसा आदमी था, जिसके पास जलती मशाल ले जाओ तो वह बुझ जाए।

  1. गरीब आदमी न तो ‘एलोपैथी’ से अच्छा होता है , न ‘होम्योपैथी’ से; उसे तो ‘सिम्पैथी’ (सहानुभूति) चाहिए।

6. प्यार करने वाली स्त्री बड़ी खतरनाक होती है। न जाने कब किससे प्यार करने लगे और तुम्हें पिटवा दे।

7. जोगिया से सिद्ध तक का जो रास्ता है, वह छल, कपट, प्रपंच और पाखण्ड के बीहड़ वन में से गुजरता है।

8. कुछ होते हैं जो दुख भी सुविधा से मांगते हैं, जिनका विछोह भी अजब रंगीनियों से भरा होता है, जिनका दुख भी एक त्योहार हो जाता है।

9. दुनिया को इतनी फुर्सत नहीं होती कि वह किसी कोने में बैठे उस आदमी को मान्यता देती जाए जो सिर्फ अपने को सही मानता है। उसकी अवहेलना होती है। अब सही आदमी क्या करे। वह सबसे नफरत करता है। खीझा रहता है। दुःख भरे तनाव में दिन गुजारता है।

10. उनकी मूंछो की सिफत यह थी कि आदमी और मौका देखकर बर्ताव करती थी। वे ‘किसी के सामने ‘आई डोंट केयर’ के ठाठ की हो जातीं। फिर वे किसी और के सामने वे मूंछों पर इस तरह हाथ फेरते कि वे ‘आई एम सॉरी सर’ हो जातीं।

11. आदमी को समझने के लिए सामने से नहीं, कोण से देखना चाहिए। आदमी कोण से ही समझ में आता है।

 

परसाई जी का जन्म (23 अगस्त) और निधन (10 अगस्त) अगस्त माह में हुआ। अपने पसंदीदा लेखक को याद रखने की मंशा से परसाई जी के लेखन और व्यक्तित्व से जुड़े अंश और प्रसंग यहां पोस्ट करने की मंशा से यह शुरआत कर रहा हूँ।

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