सूरज की मिस्ड कॉल


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आज सुबह जगे तो देखा कि सूरज की चार ठो मिस्ड कॉल पड़ी थीं।

उठकर बाहर आये। सोचा फ़ोन मिलाकर बात कर लें। लेकिन फ़िर नहीं मिलाये। सोचा -काम में बिजी होगा। ड्य़ूटी में दखल देना ठीक नहीं।

देखा कि पानी हल्का-हल्का बरस रहा है। मन किया कि हल्के-हल्के को थोड़ा गोलिया के हौले-हौले कर दें। लेकिन फ़िर कहीं से आवाज आई- नहीं यार! रफ़्ता-रफ़्ता करो! बहुत दिन से रफ़्ता-रफ़्ता नहीं किया।

रफ़्ता-रफ़्ता जब आया तो साथ में हफ़्ता-हफ़्ता लग लिया। हफ़्ता-हफ़्ता का कोई सिला समझ न आया तो हमने उससे पूछा कि तुम्हारे महीना भाई किधर हैं।

महीना भाई सकुचाये से खड़े थे जैसे किसी बूंद की आड़ में बूंद। हमने कहा सामने आओ भाई! ऐसे घपले-घोटाले की तरह काहे चिलमन में छिपे हो। महीना जिस तरह लजा के मुस्कराया उससे मन किया कि किसी मुफ़्तिया साफ़्टवेयर में उसकी आई डी धर के देखें कि कहीं ये पूर्वजन्म में मोनालिसा तो न थी।

बूंद की आड़ से बूंद बाहर आयी तो देखा सूरज की एक किरन एक बूंद के रोशनी का इंजेक्शन लगा रही थी। साथ की बूंदे खिलखिला रहीं थीं। तमाम बूंदों को खिलखिलाता देखकर एक दलाल ने उनको अपने साथ इकट्ठा करके एक फ़ोटो सेशन कर लिया और सारी दुनिया भर में खिलखिलाहट को इंद्रधनुष के नाम से पेटेंन्ट करा लिया।

सूरज ने शायद मुझे आनलाइन देख लिया होगा ऊपर से। उसका मेसेज आया -भाई साहब ये आपके मोहल्ले की बारिश की बूंदे हमारी किरणों को भिगो के गीला कर रही हैं। आप इनको मना कर दो वर्ना मैं सागर मियां को उबाल के धर दूंगा।

मैंने तीन ठो इस्माइली भेज के सूरज को समझाया -अरे खेलने-कूदने दो किरणों और बूंदों को आपस में यार तुम काहे के लिये हलकान हो रहे हो। उमर हो गयी लेकिन जरा-जरा सी बात पर उबलना अभी तक छोड़ा नहीं।

इस बीच एक बूंद अचानक उछली। लगा कि वापस गिरेगी तो हड्डी-पसली का तो प्रमुख समाचार हो के ही रहेगा। लेकिन उसके नीचे गिरने के पहले ही तमाम बूंदे चादर की तरह खड़ीं हो गयीं। उसको गोद में लेकर गुदगुदी करने लगीं। किरणें भी बूंद के गाल पर गुदगुदी करने लगीं। सब खिलखिलाने लगीं।

मैंने बूंदों-किरणों का खिलखिलौआ सीन मोबाइल से खींचकर फ़ौरन फ़ेसबुक पर अपलोड कर दिया। अपलोड करने के बाद सूरज को संदेशा भेजा -देख लो अपनी किरणों को क्या मजे से हैं।

संदेशा भेजने के बाद देखा कि सूरज पहले ही मेरी फोटो को लाइक कर चुका था। बड़ा तेज चैनल है भाई ये भी।

हम आगे कुछ और गुलजार होने का मन बना रहे थे कि मोबाइल की घंटी बजने लगी। सूरज का फोन आ रहा है। मुझे पता है कि बेटियों की याद में भावुक टाइप होकर फोन किया है। उनको खिलखिलाते देखकर रहा नही गया होगा बेचारे से। मारे खुशी के गीला हो गया होगा।

आते हैं जरा बात करके। तब तक आप कैरी आन करिये।

‘Suraj Ki Missed Call’ by Anup Shukla

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