तहदरज़ February 14, 2022 बारिश की कितनी तहें होंगी पानी की कितनी तहें होंगी जो नाव तैरती चली जा रही है उस नाव की कितनी तहें होंगी तुम्हारे चलने से जो छाप पड़ी है
काबुली चना September 13, 2021 काबुल को काबुली चना की ख़ुशबू की तरह मैं फैलते हुए देखना चाहता हूँ दुनिया में जो सफ़ेद और आकार में बड़ा होता है सफ़ेद भी कैसा, जिस तरह पिता
चीनी May 18, 2021 हलवाई की दुकान के बाहर गिरी रह गई थी चीनी जिसे उठाकर मैं रख आया था बरगद की जड़ों के पास चींटियों के लिए जिन्हें महामारी के इस वक़्त में
जाड़ा जाने-जाने को है February 6, 2021 जाड़ा जाने-जाने को है फ़रवरी के महीने में मेरा मन पतंग उड़ाने की ज़िद पर अड़ा है प्रेमी जोड़े का मानना है कि फ़रवरी तो एक-दूसरे को चूमने का महीना