किसान खुश थे
कि उन्होंने बीज बोये,
बीज़ खुश थे कि वो पेड़ बने,
पेड़ खुश थे कि उन्होंने फल दिए,
छांव दी, बारिश दी, ऑक्सीजन दी।
फिर एक रोज़ कुल्हाड़ियों का अविष्कार हुआ।
काटे गए पेड़, रौंदी गई धरती,
मिट्टी से पानी, हवा से काटी गई नमी और
साथ-साथ अपने आप कटता गया जीवन।
और इसी क्रम में कुर्सी का अविष्कार हुआ।
ये पेड़ों की ज़िंदगी का सबसे काला दिन था
जिसे प्रकृति शोक दिवस के रूप में मनाती है।
‘Aavishkar’ A Hindi Poem on World Environment Day by Devendra Ahirwar