एक दिन हम अपनी मर्ज़ी से उनके हाथों मारे जायेँगे


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मैं अपनी मर्ज़ी से तन्हा हुई
वो अपनी मर्ज़ी से बेवफ़ा
एक ने अपनी मर्ज़ी से उठाया पत्थर
दूसरे ने मर्ज़ी से लहराई बंदूक

इन दिनों मर्ज़ियों का शासन है
मेरा भोजन, मेरे कपड़े
मेरी आस्था पर भारी है उनकी मर्ज़ी
वो अपनी मर्ज़ी से कभी भी
मुझे घुसपैठिया साबित कर सकते हैं
मैं अपनी मर्ज़ी से केवल
उनका समर्थन कर सकती हूँ
यूँ मज़े-मज़े में चल रहा है मर्ज़ी का खेल
सारे नियम उनके सारी चालें उनकी
हम अपनी मर्ज़ी से प्यादे बने हुए हैं
हमने अपनी मर्ज़ी से मुँह सिल रखा है
यक़ीन मानिये
यहाँ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं
सब अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं

एक दिन हम अपनी मर्ज़ी से उनके हाथों मारे जायेँगे।

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