ताज्जुब है
तुम अब भी चुप हो
देश तुम्हारी चुप्पी को हथेली पर रख अंगूठे से मसल रहा है
तुम दया के पात्र होते जा रहे हो
तुम पर देश तरस खा रहा है
तुम्हारे ही जन्मदाता तुम्हें उखाड़ फेंकेंगे
ज़नाजा लिए जत्था तैयार है
इतिहास दर्ज करेगा तुम्हारी कारस्तानी
तुम निरंकुश शासक कहलाओगे
चिरनिद्रा से जागो, हे राजन !
चिरौरी को देश हाथ जोड़े खड़ा है
हटाओ कश्मीरी कंबल
खोलो खिड़की
उठाओ नक्काशीदार पर्दे
देखो बाहर ठंड बहुत है।
‘Jaago, He Raajan’ A Hindi Poem by Jyoti Reeta