भविष्य में,
हमारी पीढ़ियां
हमारे मिट चुके अस्तित्व को
डार्विन और लैमार्क के सिद्धांतों से आगे
पायेंगे पतन के कईं अध्याय
तकनीक में आज से हज़ारों गुना
विकसित प्रजाति
खाने में सुबह शाम नई किस्म के
सिक्के चबाते हुए,
नोटों का पानी पीते हुए
डिकोड करेंगे
अलग अलग भाषाओं को
अनुवाद करेंगे
मुश्किल से बच चुके
किसी संविधान के कुछ अनुच्छेद को
मलबे में मिले
कारखानों के रूप में
पाएंगे आख़िरी विकास को
कईं अध्यायों में
कारखानों के विकास की कहानी
पढ़ते हुए लगाएंगे छलांग
एक चिमनी से दूसरी चिमनी पर
शायद आख़िरी अध्याय
अधूरा मिलेगा उन्हें
अधूरे भूख से
कोई आधी बात लिख पाया होगा
किसान नहीं रहें
चाँद, मंगल, शुक्र और
दूसरी दुनिया में बसें हमारी भावी पीढ़ी,
अपनी उड़नतश्तरी से
लौटेंगे एक सवाल के साथ
किसान कौन थे?