कभी रसोई के कोनों से
कभी धान के बीजों से
कभी घूंघट की ओट से
तो कभी मात्र बोली की चोट से
कभी धान के बीजों से
कभी घूंघट की ओट से
तो कभी मात्र बोली की चोट से
सबसे छोटी लगने वाली
ये सबसे बड़ी
और सबसे शक्तिशाली क्रांतियां
अक्सर सबसे चुपचाप शुरू होती हैं।
‘KrantiyaN’ by Mehnaz Mansoori