नहीं जानना – अनुराग तिवारी


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नहीं जानना
हर नाकामी के पीछे का सच
कि ज़िंदगी की गाड़ी उल्टे मुँह चल नहीं सकती
मद्दे होने, ठहरने की कोई मोहलत भी नहीं जब
मृत्युशैय्या में होने के पहले तक

दौड़ते हुए गिरने पर
नहीं देखना कि कितनी हंसी पीठ पर
वजन बन चिपक रही
जब आगे एक पूरा वृत्त हमेशा है नाप लेने
उठकर फ़िर दौड़ने से हल्के भी होते हैं जब

स्पष्टीकरण की हर माँग को
दर्शकों के उत्साहवर्धन के शोर के अलावा
कुछ मत समझना
जब सुनना भी कहाँ है किसी को कुछ

वक़्त ही तय करेगा कि तुम क्या थे
जब तुम्हारे न होने के बाद तक
चलता रहेगा यह आँकलन
तो अभी धींगामुश्ती में जो साबित होगा भी
वो होगा अंतिम कहाँ

तबकि जब जीवन-फल का कच्चापन ही रहता सबसे ज़्यादा मधुर
रहता वही स्वाद सबसे ज़्यादा याद
जितना कच्चा मिल रहा जी लेना उतना
जो पक्का हो गया फिर कच्चा नहीं होगा

जीवन मत तौलना किसी दुनिया
किसी बर्ताव
किसी भाषा
किसी कविता से
देखना किस कविता
किस भाषा
किस बर्ताव
किस दुनिया में है
कितना जीवन

जब सब कुछ राख ही होना है
तो किस राख से फिर बन उड़ेगा एक पक्षी देखना।

#राग

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