लोग झिझके नहीं गले लगने में
और गले लगना इसलिए हो कि रोया जा सके
और गले लगना इसलिए हो कि रोया जा सके
कंधें बचे रहें
रोकर थके हुओ के सोने के लिए
हँसना एक फालतू सामान हो
और हर इतवार हम निकाल दें इसे रद्दी में
ताकि रोने के लिए हमेशा बची रहे जगह
कवितायें तभी हों
जब भर जाएँ उनमें दुःख पूरी तरह
और कहानियों में भी
रुला देने की हद तक हो अवसाद
किसी भी तरह
बचा ली जाए रोने की परंपरा
ताकि जब पता चले कि
तुम्हें प्यार में इस्तेमाल किया जा चुका है
तो तुम रो सको,
पढ़ सको कवितायें
और कहानियों का सहारा हो।