तेरा इश्क़ कच्ची धूप सा है,
मल लेता हूँ गालों में जिसे,
नज़रों में काजल सा लगाता हूँ,
होंठों में ग़ुलाब सा रख
चूम लेता हूँ माथा,
पिघलते मोम की भाँति
तेरी ख़ुशबू भरती है भीतर मेरे
तुझे ख़ुद में पाता हूँ,
मुस्कुराते हुए यूँ ही
थोड़ा शर्माता हूँ,
हाथ थाम कर तेरा फ़िर
गीत गुनगुनाता हूँ,
तेरे इश्क़ की धूप में
एक बार पुनः
मैं कविता बन जाता हूँ।
‘Tera Ishq Kachchi Dhoop Sa’ A Hindi Poem by Ankit Pandey