हम तौलते हैं
ज़मीन के टुकड़े
अधिकतर नहीं जानते
ज़मीन का वज़न और उसका इतिहास
ज़मीन के टुकड़े
अधिकतर नहीं जानते
ज़मीन का वज़न और उसका इतिहास
हमारे ख़्वाबों में आती हैं
जन्नत की स्त्रियाँ
प्रेमिका और पत्नी की तरह
जब हम नहीं जानते जन्नतनशीं होने के ख़तरे और सच
ये बात तय है कि
नहीं देखा है हममें से किसी ने
चेहरों के सुंदर होने के पार कुछ भी
किसी ज़मीन को पैरों से खूरने
और चारों तरफ़ एक बाड़ लगा देने के बाद
उसकी गहराई में क्या चलता है
क्या देखा है किसी ने
बहरहाल इतना भी सोचना मुनासिब होगा
कि जब आसमान पर छाई ये धुँध छटेगी
तो वहाँ और यहाँ हर आँगन में धूप खिलेगी
और उसकी रोशनी में शायद
हर स्त्री जन्नत की स्त्री की तरह
सुंदर लगेगी
आँखें फिर ना चौधियांएँ
तो यह भी दिखेगा कि ज़मीन
सिर्फ़ इमारतों के खड़े करने की नहीं
फूलों के खिलने
की भी जगह है
तितलियाँ हमेशा बहुत उम्मीद से हमें
देखती हैं
कि हम क्या सोच रहे हैं।