बीते-बिताए दिन


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बीत रहे होते हैं जब दिन
जो बीते हुए याद आएँगे
तब साथ-साथ बीत रहे होते हैं हम उनके
बीतने की सम्पूर्ण यथार्थता से अपरिचित

अच्छे दिन याद आते हैं
याद आते हैं आवारगी के दिन
पर सबसे ज़्यादा याद आते हैं वे दिन
जिनके बीत जाने के लिए करी होती हैं हमने प्रार्थनाएँ
जब वह सहसा बीत हुए याद आते हैं

सालों साल बाद भी
एक अच्छे समय की स्मृति
बची रहती है दिनों में

अच्छे दिन होते हैं वे
जो उदास दिनों पर याद आते हैं,
और बीते हुए होने के बाद भी
दोहराए जाने के लिए ज़िन्दा रहते हैं
किसी अंतहीन समय के चक्र में

सभी के पास हैं बीते हुए दिन
जिनका स्वाद
उन्हें उन्हीं की याद दिलाता है
और महसूस कराता है उन्हें उनकी
उनके बीत जाने की करी गई निरर्थक प्रार्थना

बहुत से लोग कहते हैं
जिन्होंने देखे होते हैं बीते दिन किसी उदास दिन पर,
कि याद आएँगे एक दिन यही दिन
इनके बीत जाने की मत करो प्रार्थना
हो सके तो इन्हें बीत जाने से पहले रख लो
इनके बीते होने की स्मृति के अतिरिक्त किसी स्मृति से पास

याद रहते हैं वे दिन
जिन्हें याद करने के विचार पर याद आते हैं
ख़ुद को हँसता हुआ हम

किसी भी चिन्ह पर अटके
सोचते हैं
कि कहीं कोई बेहतर बता पाता हमें
कितना याद आते हैं ना याद रखने के लिए बिताए हुए दिन

कैसे अटक कर रह जाते हैं
उन दिनों में हम
जिन दिनों के लिए त्यागने को उत्सुक थे हम कितना चैन,
फिर भी
जिनके बीतने तक हर रोज़ होते थे हम बेचैन

बेसुध, आवारगी, नादानी, ज़िम्मेदारी
सब का एक पवित्र हिस्सा होते हैं सभी दिन,
हर दिन का घोल पीते हैं हम सभी दिन

उदास दिनों में गाते हैं हम गीत
याद करते हैं बीते दिन
कृतज्ञता पहचानते हैं जीवन में उनकी
ना जानते हुए
कि कैसे फिर भूल रहे हैं इस दिन को थोड़ा और याद रखना
कैसे अटक रहे हैं इस दिन में इस दिन के साथ

याद आता है एक दिन वो दिन भी
जिसमें बहुत बीते दिन याद आए थे
और हमने उन दिनों को उन दिनों में जीने से भी अधिक जिया था उस दिन

याद आता है एक दिन वो मैं भी
जिसने बहुत बीते दिनों को बिताया था
उस एक दिन में उन दिनों से भी ज़्यादा —
उस दिन से भी ज़्यादा
और उस दिन के मैं ने भी
उस दिन को भी कितना उदास समझा था।

‘Beete Bitaaye Din’ A Hindi Poem by Tejasvi Chaddha

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