परीक्षित जायसवाल की किताब: लफ़्ज़ों की महक

साहित्य में नित्य नयी रचनाएं देखने व पढ़ने में आती हैं, एवं रोज नए लेखकों, कवियों से किताबों के माध्यम से मुलाकात होती है। उनकी लेखनी और उनकी विचारधारा सबल पाठकों तक पहुंचती है।

किंतु ह्रदय हर्ष से प्रफुल्लित हो उठा जब एक युवा लेखक या यूं कहूं उभरते हुए साहित्यकार की किताब से सरोकार हुआ। मेरे उल्लास की कोई सीमा नहीं रही, जब मैंने उनका काव्यसंग्रह लफ़्ज़ों की महक पढ़ा। खुशी का कारण था, इतना प्रबल लेखन, हिंदी के क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग, जिससे हिंदी और साहित्य को कविताओं के रस के माध्यम से उन्होंने पाठकों तक पहुंचाया। बहुत-बहुत शुभकामनाएं इस सजगता और साहित्य के प्रति इस रुझान के लिए। ऐसा लेखन पाठकों को आश्वस्त करवाता है कि आने वाले समय में साहित्य सही हाथों में हैं।

एक और खासियत जो इस किताब से रूबरू होते समय मिली, वह थी उत्साहवर्धन कई नामी लेखकों और लेखिकाओं का, इन नए लेखक की तरफ जिसमें एक चिर परिचित साहित्यकार और लेखक रणविजय सर भी शामिल थे। यह उदारता है, आप सभी की जो नए लेखकों, कवियों को प्रोत्साहित कर रहे हैं।

किताब शुरुआत में ही प्रथम कविता नवचेतना के माध्यम से पाठकों से जुड़ती है, जहां कवि ने नवाचार, नयी ऊर्जा, जागरण और जुझारूपन की बात युवाओं से की है, हिंदी के बेहतरीन शब्दों का प्रयोग उन्होंने अपनी कलम के माध्यम से किया और पाठकों को भी अलग-अलग शब्दों से रूबरू कराया।

कविता सुकून का लम्हा बहुत खूबसूरत एवं शांत कविता है, जहां कवि अपनी प्रेयसी को अलग-अलग उपमा उसे संबोधित कर रहा है।

“शाम की सुरमई संगीत हो तुम

मेरी कविताओं के मुकम्मल अल्फाज हो तुम”

यह विशिष्ट पंक्तियां जो मुझे आनंदित कर गई, इसी कविता में शामिल थी।

कविता गणित और प्रेम बहुत मजेदार कविता है, जो पाठकों को गणित की विद्यार्थी का संघर्ष अपनी प्रेमिका तक बात पहुंचाने में बताती है। कुछ शब्द गणित से जुड़े हैं तो कुछ शब्द प्रेम से जुड़े हैं।

“मुझे पता है तुम्हारे जीवन में मेरा स्थान उतना ही है जितना की गणित में अकेले शून्य का होता है”।

कविता कुदरत की ये कहानियां

कवि ने प्रकृति का वर्णन साहित्य के बेहतरीन शब्दों से किया, और पाठकों को ऐसा लुभाया जैसे वह अनुभव कर रहे हो अपने सामने बहती नदियों का चट्टानों का और सागर की गहराइयों का।

सच है “कितनी खूबसूरत हैं कुदरत की यह कहानियां”।

मेरी सबसे पसंदीदा कविता रही मन। किन बेहतरीन अल्फाजों, उपमा, उदाहरणों से कवि ने मन का परिचय दिया है। वास्तव में मन चंचल है, कभी निराश होता है, कभी अबोध बालक सा होता है, कभी हटी होता है, तो कभी हितैषी।

“मन संकल्पों का क्षितिज
कभी शून्य कभी अनंत”

कुछ शब्द जो कविता में चार चांद लगा रहे हैं वह थे स्वच्छंद, स्वमग्न।

कविता स्त्री की वेदना भी लाजवाब कविताओं में से एक है, कितनी सुंदर शब्द और उससे भी ज्यादा सुंदर है तुकबंदी ।
स्त्री की वेदना तो जगजाहिर है, किंतु कवि ने उसकी पीड़ा बहुत जोर देकर सामने रखी है।

“जीना हो तो घर बैठो यही मूल मंत्र है, और यह जायज भी है क्योंकि यह जनतंत्र है”।

यह पंक्तियां जान डाल रही हैं कवि की लेखनी में।

एक और चिर परिचित विषय जिस पर कवि ने अपनी कलम चलायी है, वह है मां

हालांकि मां पर जितना भी लिखा जाए, वह कम या अधूरा ही है कवि कि कुछ पंक्तियां इस प्रकार हैं –

“वह मां ही होती है जो घर के सभी सदस्यों को जोड़े रखती है।
ना जाने कैसे आंखें पढ़ लेती है वह मां ही होती है”।

कविता लफ़्ज़ों के मोती जितना खूबसूरत शीर्षक, उतने ही खूबसूरत शब्द जो कविता को संपूर्ण बनाने में सहायक रहे।

“आईना देखोगे जब तुम, वो भी है या से टूट जाएगा,
तुझे देखते ही यह वक्त क्षणभंगुर ना रह पाएगा”।

कविता वजूद और आखरी दफा मिलो मुझसे भी मेरी पसंदीदा कविताओं में से रही। जहां कवि ने इंसान के वजूद का वर्णन

“खाक होती जिंदगी ना पहचान कोई जिंदगी के बाद कोई याद भी करें इसमें शक है मुझे”

ऐसे शब्दों से किया ।

वही कविता आखरी दफा मिलो मुझसे में कवि ने वियोग की पीड़ा का वर्णन, और बिछड़ने के बाद महसूस हो रही गमगीनी लफ्जों में सजा कर कविता के माध्यम से पेश की है।

कुल मिलाकर अलग-अलग विषयों पर, कुल 99 कविताओं का संकलन किताब लफ़्ज़ों की महक पाठकों को लुभाने में सक्षम रही।

काव्य में रुचि रखने वाले पाठकों को एक बार इस किताब को पढ़ने का अनुभव जरूर लेना चाहिए।

‘Lafzo Ki Mahak’ Poety Book Review by Monika Awasthi

किताब – लफ्जों की महक
लेखक – परीक्षित जयसवाल
पृष्ठ संख्या – 134
मूल्य – 149
प्रकाशक: HSRA Publications 

किताब अमेज़न पर उपलब्ध है।

 

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