ओ मेरी सुरमयी पत्नी!
तुम्हारे बालों से झरते हैं महुए
तुम्हारे बालों की महुवाई गंध
मुझे खींच ले आती है अपने गाँव में
और शहर के धूल-गर्द के बीच
मेरे बदन से पसीने का टपकना
तुम्हें ले जाता है महुए की छाँव में
ओ मेरी सुरमयी पत्नी!
तुम्हारी सखियाँ तुमसे झगड़ती हैं
कि महुवाई गंध महुए में है
मुझे तुम्हारे बालों से आती है महुवाई गंध
और तुम्हें मेरे पसीने से
ओ मेरी महुवाई पत्नी!
सखियों का बुरा न मानना
वे सब जानती हैं कि
महुवाई गंध हमारे प्रेम में है।
कामगारों एवं मज़दूरों की ओर से उनकी पत्नियों के नाम भेजा गया प्रेम-संदेश
‘Mahuwai Gandh’ A Hindi Poem by Anuj Lugun