जानते हो
मेरी कविताओं में तुम्हारे प्रेम के मायने क्या है?
शायद, मैं ये तुम्हें कभी न बता पाऊँ
इसका उत्तर ठीक वैसा ही है,
जैसे वसुधा और व्योम के बीच बनता क्षितिज,
जैसे बसंत में बजते हिंडोल
जैसे जेठ में खेजड़ी की ठंडी छांव
और ठीक वैसे ही जैसे;
लंबी बरसात के बाद निकली मीठी धूप!
सुनो
अब मैं तुमसे उत्तरापेक्षी नहीं हूँ
क्योंकि मैं तुम्हें अब महसूस करती हूँ,
अपनी कविताओं में
सावन में बरसते मेघ की तरह।
‘Prem’ A Hindi Poem by Aradhana