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चले आना तुम
जैसे कई दिनों तक खिली घनी धूप के बाद अचानक होने लगती है तेज बारिश वैसे ही कभी चले आना तुम बिना बताए अचानक दरवाजे पर खड़े होकर मुस्कुराते हुए
जैसे कई दिनों तक खिली घनी धूप के बाद अचानक होने लगती है तेज बारिश वैसे ही कभी चले आना तुम बिना बताए अचानक दरवाजे पर खड़े होकर मुस्कुराते हुए
हर कोई निर्वाण का पथिक होना चाहता है, परिवर्तित भावनाओं के अनुरूप व्यवस्थाएँ भी करता है, स्वयं को दया एवं मानवता की भावना से, अनुप्राणित होते देखता है, और पृरोहित
टाँगी, हँसिया, दाब, दराँती ये सब हमारी सुन्दरता के प्रसाधन हैं जिन्हें हाथ में पकड़ते ही मैं दुनिया की सबसे सुन्दर स्त्री हो जाती हूँ। तब कहीं दूर रैम्प पर
तुम बची रह गयी मुझमें जैसे लोटा भर पानी गटक जाने के पर भी बची रहती है गर्मियों में प्यास जैसे हथेलियों से पानी पोछ लेने के बाद भी बची
मुझे विश्वास है एक रोज मैं मारा जाऊँगा किसी युध्द में नही प्रेम में प्रेम में मारा जाना दुनिया की सबसे अच्छी नियति है आप स्वर्ग और नरक नही जाते
फूल तोड़कर तुम्हारे बालों में खोंस देना प्रेम नहीं है। पौधे में फूल को, तुम्हारे बालों के लिए अंत तक बचाए रखना प्रेम है। तुमसे इश्क़ का इज़हार कर देना
इस भीषण आपदा में जब जीवन एक संयोग भर है मैं तुम्हें प्रेम करता हूँ सोचता हूँ क्यों और कैसे कुछ कहानियाँ किताबों में नहीं मिलतीं कुछ फलसफे नहीं मिलते
चीज़ों के गिरने के नियम होते हैं! मनुष्यों के गिरने के कोई नियम नहीं होते। लेकिन चीज़ें कुछ भी तय नहीं कर सकतीं अपने गिरने के बारे में मनुष्य कर
~ 1 ~ तुम दो चुटकी धूप और एक मुश्त रात का नरम टुकड़ा हो तुम हो स्थगित उल्लास और गहन उदासियों का वनचर गीत तुम फूलों के लावण्य और
किताबें करती हैं बातें बीते जमानों की दुनिया की, इंसानों की आज की कल की एक-एक पल की। खुशियों की, गमों की फूलों की, बमों की जीत की, हार की
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