चले आना तुम

जैसे कई दिनों तक खिली
घनी धूप के बाद
अचानक होने लगती है तेज बारिश
वैसे ही कभी चले आना तुम
बिना बताए अचानक
दरवाजे पर खड़े होकर
मुस्कुराते हुए
फैला देना अपनी दोनों बाहें
मैं कभी आँखें मल कर
तो कभी चुटकी काट कर
खुद को यकीन दिलाने की कोशिश करूंगी
और जब हो जाएगा यकीन इस बात का
कि हाँ वह तुम्ही हो
तो झूम उठूंगी वैसे ही
जैसे बारिश में नहाते हुए
झूम उठते हैं छोटे बच्चे।

‘Chale Aana Tum’ A Hindi Poem by Chitra Panwar

 

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