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लौटना
जो गये, उन्हें लौट आना चाहिए, लौटने से जीवन होता है परिष्कृत, व्यथन के मेघ अनाच्छादित होते हैं, और विषण्णता होती है लुप्त। क्योंकि लौटना संगम है दुःखों का, और
जो गये, उन्हें लौट आना चाहिए, लौटने से जीवन होता है परिष्कृत, व्यथन के मेघ अनाच्छादित होते हैं, और विषण्णता होती है लुप्त। क्योंकि लौटना संगम है दुःखों का, और
1. दो औरतें जब निकलती हैं अकेले निकाल फेंकती हैं अपने भीतर बसी दुनिया उछाल देती हैं हवा में उम्र का गुब्बारा जिम्मेदारियों में दबे कंधे उचकने लगते हैं वैसे
याद है तुम्हें जब उस दिन तुम नहीं थे मेरे पास बैठे आती शाम में धीरे से बहती हवा के साथ। क्या… कह रहा था तब मैं, हाँ याद आया
हर कोई निर्वाण का पथिक होना चाहता है, परिवर्तित भावनाओं के अनुरूप व्यवस्थाएँ भी करता है, स्वयं को दया एवं मानवता की भावना से, अनुप्राणित होते देखता है, और पृरोहित
जो अंततः हार गईं अकादमिक परीक्षाओं के साथ ही रिश्तों की अपेक्षाओं में उनमें से कुछ के अवसाद फँदे पर टँगे मिले जो बच गईं शरीर के मरने से उन्हें
यातायात संबंधी नियमों में उलझे लोगों के पास नहीं होता तटस्थ रहने के नियम-कायदे समझने भर का समय जीवन के सबसे उदास दिनों में निर्विकल्प झेलनी है एकाकीपन की पीड़ा
तुम्हारे नहा लेने के बाद, तुम्हारे भीगे तौलिये से अपना बदन पोंछना, तुम्हारा स्पर्श पा लेने जैसा है, ज़िंदगी के तमाम उतार-चढ़ावों के बीच ये मेरे रोज़ का एक हिस्सा
मिलना और बिछुड़ना दोनों जीवन की मजबूरी है। उतने ही हम पास रहेंगे जितनी हममें दूरी है। शाखों से फूलों की बिछुड़न फूलों से पाँखुड़ियों की आँखों से आँसू की
चीज़ों के गिरने के नियम होते हैं! मनुष्यों के गिरने के कोई नियम नहीं होते। लेकिन चीज़ें कुछ भी तय नहीं कर सकतीं अपने गिरने के बारे में मनुष्य कर
किताबें करती हैं बातें बीते जमानों की दुनिया की, इंसानों की आज की कल की एक-एक पल की। खुशियों की, गमों की फूलों की, बमों की जीत की, हार की
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