याद है तुम्हें
जब उस दिन तुम नहीं थे
मेरे पास बैठे
आती शाम में धीरे से
बहती हवा के साथ।
जब उस दिन तुम नहीं थे
मेरे पास बैठे
आती शाम में धीरे से
बहती हवा के साथ।
क्या… कह रहा था तब मैं,
हाँ याद आया
‘तुम ठीक हो’
शायद वो सुना नहीं था तब तुमने
सच कहूं तो
मैं नहीं जान पाया था
तुम से बात करते-करते
तुम कैसी हो?
तुमने तो वो सुना ही नहीं।
पर मैं जब जान पाया
तुमने देर रात फ़ोन कर मुझे कहा था उस दिन।
“क्या कह रहे थे, तुम वो दोबारा कहो”
उस रात के बाद मैंने तय किया हमेशा के लिऐ
कहना कि “तुम ठीक हो”
तुम ठीक हो ना?
‘Tum Theek Ho Na?” A Hindi Poem by Bhardwaj Dilip