जो गये,
उन्हें लौट आना चाहिए,
लौटने से जीवन होता है परिष्कृत,
व्यथन के मेघ अनाच्छादित होते हैं,
और विषण्णता होती है लुप्त।
क्योंकि लौटना
संगम है दुःखों का,
और दो दुःखों का संगम है ‘प्रेम’।
‘Lautna’ A Hindi Poem by Vijay Bagchi
जो गये,
उन्हें लौट आना चाहिए,
लौटने से जीवन होता है परिष्कृत,
व्यथन के मेघ अनाच्छादित होते हैं,
और विषण्णता होती है लुप्त।
क्योंकि लौटना
संगम है दुःखों का,
और दो दुःखों का संगम है ‘प्रेम’।
‘Lautna’ A Hindi Poem by Vijay Bagchi
गाँव लौटना एक किस्म का बुखार है जो बदलते मौसम के साथ आदतन जीवन भर चढ़ता-उतारता रहता है हमारे पुरखे आए थे यहाँ बसने दक्खिन से जैसे हमें पलायन करने
जो पुष्प अपनी डाली पर ही सूखते हैं, वो सिर्फ एक जीवन नहीं जीते, वो जीते हैं कई जीवन एक साथ, और उनसे अनुबद्ध होती हैं, स्मृतियाँ कई पुष्पों की,
वे लड़कियाँ बथुआ की तरह उगी थीं जैसे गेहूँ के साथ बथुआ बिन रोपे ही उग आता है ठीक इसी तरह कुछ घरों में बेटियाँ बेटों की चाह में अनचाहे
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