तुम्हारे दिल में अगर मैं चाहूँ


Notice: Trying to access array offset on value of type bool in /home/u883453746/domains/hindagi.com/public_html/wp-content/plugins/elementor-pro/modules/dynamic-tags/tags/post-featured-image.php on line 36

मैं अगर तुम्हारे दिल में दाखिल होना चाहूँ
तो चाहूँगा कि होऊँ जैसे
जाड़े की सुबह,
चली आती है धूप मेरे कमरे के भीतर।

जैसे आ चुकी भी है,
और आने में भी है।

मैं अगर तुम्हारे दिल में शामिल होना चाहूँ
तो चाहूँगा कि होऊँ जैसे
हर मौसम में शामिल धूप रहती है।

मुख़्तलिफ़ मिक़दार में
पर मुस्तक़िल एहसास में।

मैं अगर तुम्हारे दिल मे शामिल होना चाहूँ
तो चाहूँगा कि होऊँ जैसे
खून होता है
शरीर की सब नसों में जीवन बनकर शामिल

और जैसे खून के दान का सुकूँ
मौजूद रहता है जीवन के साथ हमेशा।

मैं अगर तुम्हारे दिल पर नाज़िल होना चाहूँ
तो चाहूँगा कि होऊँ जैसे
दांते का लेखन,
पूरा उतर आया था बियैट्रिस पर।

जैसे अपनी सारी रौशनी के साथ
महर फ़लक के आसमाँ पर नाज़िल होता है।

मैं अगर तुम्हारे दिल की मंज़िल होना चाहूँ
तो चाहूँगा कि होऊँ जैसे
तस्कीन होती है,
इंसान की सब हसरतों की आखिरी मंज़िल।

आगे जिस के दिल की कोई
और चाह ना हो।

मैं अगर तुम्हारे दिल के काबिल होना चाहूँ
तो चाहूँगा कि होऊँ जैसे
हर मायने में,
नीलकंठ काबिल है गहरे नीले रंग के।

और जैसे सुर्ख़, पुर-जमाल एक गुलाब,
इश्क़ की अलामत कहे जाने काबिल है।

मैं अगर तुम्हारे दिल पर नज़्म लिखना चाहूँ
तो मैं लिखना चाहूँगा
बस एक ‘शब्द’
जो तुम्हें अज़ीज़ हो।

शब्द, जिसको पढ़कर
सबको लगे कि ‘शब्द’ है।
शब्द, जिसको पढ़कर
तुमको लगे कि ‘नज़्म’ है।

मैं अगर तुम्हारे दिल…….

‘Tumhare Dil Mein Agar Main Chahun’ A Poem by Pradumn R. Chourey

प्रद्युम्न को यूट्यूब पर सुनें।

Related

दिल्ली

रेलगाड़ी पहुँच चुकी है गंतव्य पर। अप्रत्याशित ट्रैजेडी के साथ खत्म हो चुका है उपन्यास बहुत सारे अपरिचित चेहरे बहुत सारे शोरों में एक शोर एक बहुप्रतिक्षित कदमताल करता वह

अठहत्तर दिन

अठहत्तर दिन तुम्हारे दिल, दिमाग़ और जुबान से नहीं फूटते हिंसा के प्रतिरोध में स्वर क्रोध और शर्मिंदगी ने तुम्हारी हड्डियों को कहीं खोखला तो नहीं कर दिया? काफ़ी होते

गाँव : पुनरावृत्ति की पुनरावृत्ति

गाँव लौटना एक किस्म का बुखार है जो बदलते मौसम के साथ आदतन जीवन भर चढ़ता-उतारता रहता है हमारे पुरखे आए थे यहाँ बसने दक्खिन से जैसे हमें पलायन करने

Comments

What do you think?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

instagram: