नए अनाज की ख़ुशबू का पुल पार करके
मैं तुम्हारे पास आऊँगा
ज्यों ही तुम मेरे शब्दों के पास आओगे
मैं तुम्हारे पास आऊँगा
जैसे बादल। पहाड़ की चोटी के पास आता है
और लिपट जाता है
जिसे वे ही देख पाते हैं जिनकी गर्दनें उठी हुई हों।
मैं वहाँ तुम्हारे दिमाग़ में
जहाँ एक मरुस्थल है। आना चाहता हूँ
मैं आऊँगा। मगर उस तरह नहीं
बर्बर लोग जैसे कि पास आते हैं
उस तरह भी नहीं
गोली जैसे कि निशाने पर लगती है
मैं आऊँगा। आऊँगा तो उस तरह
जैसे कि हारे हुए, थके हुए में दम आता है।
‘Aaunga’ A Hindi Poem by Leeladhar Jagudi