मुँहासे

गेंदे के कुछ फूल खिले हैं
गुलाबों की क्यारियों में

उनकी अवांछित नागरिकता पर
गुलाब उठाते हैं सवाल –
“तुम यहाँ क्यों ?”

ढीठ हैं फूल गेंदे के
सिर उठाकर देते हैं जवाब –
“वसंत से पूछो!!”

हेमन्त देवलेकर की अन्य रचनाएँ।

किताब अमेज़ॉन पर उपलब्ध है।

Muhase” from Gulmakai (Poetry): Hindi poem by Hemant Deolekar

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