मेरी आत्मा के माथे पर
लंगर डाले पड़े हैं
सदियों से
तुम्हारे वो चुम्बन
जो पूर्ण होने से पहले
खींच डाले गए
विरह के क्रूर जाल में फंसाकर;
लंगर डाले पड़े हैं
सदियों से
तुम्हारे वो चुम्बन
जो पूर्ण होने से पहले
खींच डाले गए
विरह के क्रूर जाल में फंसाकर;
मेरा प्रेम
आज भी तुम्हारी उन
कत्थई महासागरीय
आंखों में
क़ैद
प्रतीक्षारत है
तुम्हारे
लरजते अधरों की
अस्फुट ध्वनियों की
मंत्र सिद्ध
तरलता की