प्रेम का आध्यात्म


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प्रेम होगा नहीं तुम्हे
बल्कि खिलेगा
जैसे अधमरी टहनियों पर भी
बरबस खिल उठते हैं गुँचे
सूखी रोटी को देख
भूखे बच्चे की चमक उठती है आँखें

प्रेम होगा
तब खो जाएगा शोर
पसर जाएगा मौन तुम्हारे भीतर
और अर्थहीन लगने लगेंगे शब्द

प्रिय,
यही प्रेम का अध्यात्म है
जो तुम्हे मिलवाएगा तुमसे

‘Prem Ka Aadhyatm’ Hindi Kavita By Deepti Pandey

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