जो पुष्प अपनी डाली पर ही सूखते हैं,
वो सिर्फ एक जीवन नहीं जीते,
वो जीते हैं कई जीवन एक साथ,
और उनसे अनुबद्ध होती हैं,
स्मृतियाँ कई पुष्पों की,
जो रहीं अपूर्ण, असंतृप्त;
हो सके तो तोड़ना तुम,
एक वही पुष्प,
और सहेजना उसे;
तुम्हें आएगा,
एक साथ कई प्रेम सहेजना।
‘Sookhe Phool’ A Hindi Poem by Vijay Bagchi