दुनिया उदास लोगों से भरी हुई है और
इंटरनेट उदास लोगों की तस्वीरों से।
पर क्या वाकई वे उदास होते हैं
जिन्होंने बड़े सलीके से हर कोण माप-जोख कर
निकलवाई हैं उदास चेहरे की छाया।
मैं समझता हूँ उदास लोगों के पास
कैमरा नहीं होता
ना ही कोई हमदर्द जो निकाल दे उनकी
उदासी की तस्वीर।
उदास लोग तो मिलते हैं
किसी खेत के बीचोंबीच गुजरी
सड़क के साथ वाले पुलिये पर
घुटनों को मोड़ दोनों हाथ बाँधे
क्षितिज को निहारते।
बाढ़ की तबाही के बाद
किसी नदी के सूखे किनारों पर बैठ
रेत चुनते या
किसी सड़क पर बैठी
अनाथ गाय की गर्दन सहलाते।
ऐसा भी नहीं है कि
उदासी केवल एकांत का साथी है
हमारे बीच भी पर्याप्त लोग हैं
उदासी की बाँह थामे।
वे यहीं-कहीं हमारे साथ वाले कमरे में
बिस्तर पर लेटे आँखों के सहारे
पकड़ने की कोशिश कर रहे होते हैं
पंखे के तीसरे पत्ते का घूर्णन।
हमारे साथ ही बैठ खा रहे होते हैं
किसी भोज की पाँत में
बिना एक बार भी सर उठाए या
होते हैं किसी सफ़र में कान में इयरफोन लगाए
खिड़की वाली सीट पर अधलेटे आँखें बंद किए।
दुनिया उदास लोगों से भरी हुई है पर
वास्तविकता यह है कि उस वक़्त
कोई उनकी तस्वीर नहीं ले रहा होता है।
‘Udaas Log’ A Hindi Poem By Kumar Divyanshu Shekhar