दिल चाहता है फिर से बच्चा हो जाऊँ
घर आया है एक बूढ़ा आदमी, जिसके ललाट पर ‘समाज’ लिखा है
मुझे पैर छूने थे उनके
मैं जाऊँ उनके निकट, मुँह चिड़ाऊँ और भाग जाऊँ।
घर आया है एक बूढ़ा आदमी, जिसके ललाट पर ‘समाज’ लिखा है
मुझे पैर छूने थे उनके
मैं जाऊँ उनके निकट, मुँह चिड़ाऊँ और भाग जाऊँ।
माँ उदास हो, तो थाम लूँ उसकी गिरती हुई उदासी को
गुदगुदाऊँ उसे
माँ हँस पड़े और उसके सीने से लग जाऊँ।
उन चींटियों से माँगू क्षमा
जो किसी जल्दबाज़ दुपहरी में, मेरे पैरों तले मारी गई हों।
पहाड़ों को देखूँ
दौड़ूँ, उन पर चढ़ूँ, गिरूँ, लहूलुहान हो जाऊँ, फिर चढ़ूँ, फिर गिरूँ
रोता जाऊँ, हँसता रहूँ।
वो सारी रूहें, जिनके चेहरों पर फिक्र उग आई हैं
जाऊँ, उनके गालों पर अपने होठ रख दूँ
वे सुर्ख हो जाएँ और मैं गायब हो जाऊँ।