इंतजार करना वैसे ही
जैसे एक मजदूर दिहाड़ी का करता है
रतजगा यात्री प्लेटफार्म पर अपनी ट्रेन का करता है
एक याचक अपने हक में फैसले का करता है
एक भक्त मंदिर के पट खुलने का करता है
जैसे एक मजदूर दिहाड़ी का करता है
रतजगा यात्री प्लेटफार्म पर अपनी ट्रेन का करता है
एक याचक अपने हक में फैसले का करता है
एक भक्त मंदिर के पट खुलने का करता है
एक पिता सुबह के अख़बार का करता है
माँ चूल्हे पर सब्जी के पकने का करती है
दूर ब्याही बहनें मायके जाने का करती हैं
और एक गर्भवती,
अपने शिशु को जन्म देने का करती है
तुम उतने ही धीरज से मेरा इंतजार करना
जितना एक सांस के आने के बाद
जीवन दूसरी सांस का करता है।
‘Intezaar’ Hindi Kavita by Deepti Pandey